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मेरे कृतित्व के आयाम

Tuesday, 27 December 2011

चारित्रिक आधारों की

आज देश को आवश्यकता चारित्रिक आधारों की!
कोटि-कोटि जनता पल भर में कैसे कहो गुलाम हुई?
संविधान की छीछालेदर स्वतंत्रता नीलाम हुई!!
क्योंकि आत्मबल ह्रास हो गया है अब अपनी पीढ़ी में!
नैतिकता की कमी सभी वर्गो में है अब आम हुई!
भूल न जाना गाथा आपत्कालिक अत्याचारों की!!
आज देश को आवश्यकता चारित्रिक आधारों की!
जमकर करें वंचना जो भी वही कुशल व्यापारी हैं
पंडित और पुजारी छलते सन्यासी व्यभिचारी हैं!
मानप्रतिष्ठा जानमाल रक्षा का नहीं भरोसा है।
शहजादों की भांति मानते अपने को अधिकारी हैं!!
किसी जगह भी दीख रही है कमी न भ्रष्टाचारों की
आज देश को आवश्यकता चारित्रिक आधारों की!
संताने हम युगपुरुषों की जिनकी अमर कहानी है।
राम कृष्ण गौतम गांधी की जग में कहीं न सानी है!!
किंतु हो गया हमें आज क्या अनाचार क्यों बढ़ा हुआ ?
शिवि दधिचि की संतति का क्यों मरा आंख का पानी है!!
पत्रकार, कवि अवसरवादी,राजनीति है नारों की
आज देश को आवश्यकता चारित्रिक आधारों की!

Friday, 23 December 2011

लोकपाल और आरक्षण

केंद्रीय सरकार द्वारा संसद में पेश किए गए लोकपाल विधेयक के अनुसार,पारित होने की दशा में इस संस्था में जातीय आरक्षण की व्यवस्था होगी
जो पचास प्रतिशत से कम नहीं होगी।यह नितांत अनुचित प्रस्ताव है क्योंकि लोकपाल संस्था भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए सृजित की जा रही है।
जिसके लिए स्वच्छ छवि वाले और ईमानदार व्यक्तियों की जरूरत है। इसमें जाति धर्म से क्या लेना देना। कांग्रेस जानबूझकर इस संस्था को कलुषित
करने का प्रयास कर रही है। कांग्रेस पहले ये तो बता दे कि उसकी सुप्रीमो 'सोनिया' और भावी प्रधानमंत्री कंडिडेट 'राहुल' की कौन जाति है।वे 'गांधी'
अपने को कैसे लिखते है? गांधी तो वैश्य जाति/वर्ण की एक शाखा है और राहुल फिरोज खान के पौत्र है,जो पारसी थे। सोनिया तो दरअसल
'एंटोनिया माइनो' है जो फिरोज खान के पुत्र राजीव की पत्नी है और राहुल उनके पुत्र ,फिर छद्म जाति से वे अपने को प्रचारित कर देश को धोखा क्यों दे रही है।

Thursday, 22 December 2011

जन लोकपाल

अन्ना हजारे के लोकपाल आंदोलन को लेकर केंद्र सरकार की टालमटोल नीति जारी है।भ्रष्टाचार के पौधे को विशाल वृक्ष का रुप देने वाली कांग्रेस और उसके सहयोगी दल तमाम कुतर्कों के बीच यह भी कह रहे है कि अन्ना निर्वाचित जन प्रतिनिधि नहीं है। वे अपना राजनीतिक दल बनाकर इतने सांसद जिताए कि उनके अनुसार लोकपाल
विषयक कानून बन सके। संसद की सर्वोच्चता की दुहाई दी जा रही है। उनसे हमें यह कहना है कि महात्मा गांधी और जयप्रकाश नारायण भी सांसद या विधायक नहीं थे
किंतु सरकारें और देश उनके सम्मुख नतमस्तक था। उन्हें 'राष्ट्रपिता' और 'लोकनायक' की उपाधियां जनता ने ही दीं न कि शासकों ने।यही नहीं देश के वर्तमान प्रधानमंत्री कौन सा जन चुनाव जीते है तथा देश की स्वतंत्रता प्राप्ति के समय सत्ता हस्तांतरण पंडित जवाहरलाल नेहरू को प्रधानमंत्री बनाकर क्यों किया गया? तब वे चुनकर कहां आए
थे?समय की मांग है कि संप्रग जल्द से जल्द जन-लोकपाल या उससे मिलता जुलता लोकपाल कानून पास करे। अन्यथा जनक्रांति अवश्यम्भावी है।
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