----------------राज्यसभा का दुरुपयोग-----------------
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संविधान निर्मातावों ने यह सोचकर एक उच्च सदन गठित किये जाने की व्यवस्था की थी कि जो लोग किसी क्षेत्र में विशेष योग्यता रखते हैं और बहुमूल्य राय दे सकते हैं,किन्तु जनाधार नहीं रखते हैं,उन्हें इस सदन का सदस्य बनाया जाय और उनके परामर्श और मत से देश को लाभान्वित किया जाय।किन्तु ऐसा हुवा नहीं।शिफारिसी और पहुॅच वाले अयोग्य और पक्षपाती लोग इस सदन में पहुॅचने लगे और यह सदन अड़गेबाजी का फोरम बन गया।
आज तो यह हाल है की बहुमत से चुनी गई सरकार जन आकांक्षावों को पूरा करने में अपने को असमर्थ पा रही है क्योंकि जनता से कटे हुए और सरोकार न रखने वाले लोगों का यह जमावड़ा लोकसभा से पारित बिलों को साजिशन रोक रहा है।लक्ष्य है सरकार और विशेषकर मोदी को फेल करना।
मोदी को चाहिये कि इस विन्दु पर देश में Referendum (जनमतसंग्रह)करवा कर राज्यसभा की हैसियत केवल परामर्श देने की रक्खें;बाध्यकारिता की शक्ति से इस सभा को वंचित रक्खा जाय।
लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि है।
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संविधान निर्मातावों ने यह सोचकर एक उच्च सदन गठित किये जाने की व्यवस्था की थी कि जो लोग किसी क्षेत्र में विशेष योग्यता रखते हैं और बहुमूल्य राय दे सकते हैं,किन्तु जनाधार नहीं रखते हैं,उन्हें इस सदन का सदस्य बनाया जाय और उनके परामर्श और मत से देश को लाभान्वित किया जाय।किन्तु ऐसा हुवा नहीं।शिफारिसी और पहुॅच वाले अयोग्य और पक्षपाती लोग इस सदन में पहुॅचने लगे और यह सदन अड़गेबाजी का फोरम बन गया।
आज तो यह हाल है की बहुमत से चुनी गई सरकार जन आकांक्षावों को पूरा करने में अपने को असमर्थ पा रही है क्योंकि जनता से कटे हुए और सरोकार न रखने वाले लोगों का यह जमावड़ा लोकसभा से पारित बिलों को साजिशन रोक रहा है।लक्ष्य है सरकार और विशेषकर मोदी को फेल करना।
मोदी को चाहिये कि इस विन्दु पर देश में Referendum (जनमतसंग्रह)करवा कर राज्यसभा की हैसियत केवल परामर्श देने की रक्खें;बाध्यकारिता की शक्ति से इस सभा को वंचित रक्खा जाय।
लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि है।
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