Saturday, 14 January 2012

भारत भू की रज



अखिल विश्व में सबसे पावन भारत भू की रज है ।


    इसी धूल में लोट पोटकर खेल राम हमारे ।


मुख में इसे डाल लेते थे नटखट नन्द दुलारे ।


चकित शारदा महिमा लखकर सुर विस्मित हो जाते।


थक थक जाते शेष सहस फण से गुण गाते गाते ।।


इसे सृजित कर मन में निज को धन्य मानता अज है ।


अखिल विश्व में सबसे पावन भारत भू की रज है ।


जनक भरत से जनमें इस पर,राज्य लिये सन्यासी।


त्याग रूप थे विश्व -धर्म -गुरु बुद्ध इसी के वासी ।।


मरघट में भी अति पवित्र यह,शम्भु देह में  मलते।


इस पर होता जन्म अमित पुण्यों के जब फल फलते ।।


भव्य भावना भरित,परम शुचि,कण कण काशी हज है ।


अखिल विश्व में सबसे पावन भारत भू की रज है ।


एकलव्य ने काटा अंगुठा गुरु आज्ञा पालन में।


महक रहा है दिव्य सुमन सा भील कीर्ति कानन में ।


इसी रेणु से चिर प्रणम्य थी जनमी पन्नादाई।


परहित में हंसते हंसते नित सुत की जान गंवाई ।।


कैसा उच्च महान यहां का धन्य 'शुक्ल'अन्त्यज है ।


अखिल विश्व में सबसे पावन भारत भू की रज है ।

Thursday, 12 January 2012

मातृभूमि वंदना



भारत मां की पावन धरती को शत-शत वंदन 


बहता यहां सुधा सम सुन्दर सुर सरिता का जल ।


रत्नाकर करता प्रक्षालन इसके अंघ्रि कमल ।।


उत्तर में उत्तुंग रजत सा है कैलास शिखर ।


रहकर जहां सतत रक्षारत शूलपाणि शंकर ।


भला बताओ इसके सम्मुख क्या उपवन नन्दन ?


भारत मां की पावन धरती को शत-शत वंदन 


मानवता हित तजा बुद्ध ने वैभवमय जीवन ।


किये कर्ण ने दान मृत्यु शय्या पर स्वर्ण रदन।


करते यहां दधीच लोक हित अस्थिजाल देकर।


पी लेते कल्याण हेतु जग के विष विधु शेखर ।।


हीरज अज प्रणम्य पद नीरज रज सुर उर चन्दन ।


भारत मां की पावन धरती को शत-शत वंदन 


वीर शिवा राणा प्रताप से हुए इसी भूपर ।


अत्याचारों अन्यायों से युद्ध किया डटकर ।।


भगतसिंह आदिक कितनों ने जान गंवाई है ।


यहां नारियों ने रण में तलवार चलाई है । ।


स्वयं चलाते कृष्ण यहां के शूरों का स्यन्दन ।


भारत मां की पावन धरती को शत-शत वंदन