मेरी राजनैतिक टिप्पणियां


                                                     सूझबूझ से काम लें मतदाता 
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देश भर में कांग्रेस विरोधी लहर चल रही है । संभावना ऐसी लग रही है कि शायद एनडीए के नेतृत्व में केंद्र सरकार बने । AAP भी मैदान में हैं । बड़ी संभावना है कि उन्हें भी कांग्रेस विरोधी वोटों का बड़ा हिस्सा हासिल हो जाए लेकिन इतना तो नहीं होने वाला कि वो केंद्र में सरकार बनाने की स्थिति में आ जाएं । ऐसे में जहां एनडीए की राह में दिक्कतें आ जाएंगी वहीं कांगेस को एक बार फिर केंद्र में (कमजोर) सरकार के गठन में अपनी विध्वंसक भूमिका निभाने का मौका मिल जाएगा । वो किसी अयोग्य उम्मीदवार की ताजपोशी करवाकर पर्दे के पीछे से फिर अपना घिनौना खेल खेलने की कोशिश करेगी । ना तो वो सरकार स्थिर होगी ना देश का भला होगा । ऐसी संभावनाओं के बीच मतदाताओं को बड़ा सोच विचार करके वोट देना होगा ताकि केंद्र मे एक मजबूत , गैर कांग्रेसी और सुशासन लाने वाली सरकार गठित हो सके । ना कि भानुमती के कुनबे जैसी और कांग्रेस समर्थित नकारा सरकार । 

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                                                            "आप" क्या करे ?
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दिल्ली विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी को 25 फीसदी मतों की बदौलत 28 सीटे मिली हैं । मतलब साफ है कि उन्हें सरकार बनाने का जनादेश नहीं मिला है । ऐसे में पार्टी की ओर से सरकार बनाने को लेकर जो जनमत संग्रह करवाया जा रहा है वह जनादेश का अपमान तो है ही साथ ही अतार्किक और असंवैधानिक भी है । जनता ने चुनावों में पहले से ही अपनी राय जाहिर कर रखी है ऐसे में सरकार बनाने की कोशिश करना और उसके लिए जोड़तोड़ करना पूरी तरह से गलत है । पार्टी को सरकार बनाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए और जनादेश का सम्मान करना चाहिए ।



                                                 क्या राष्ट्रपति की वजह से वापस हुआ दागी अध्यादेश ?
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                                                                                                            'दागी' माननीयों को बचाने वाले अध्यादेश पर हस्ताक्षर न करके राष्ट्रपति जी ने बहुत शानदार काम किया है । वे प्रशंसा के पात्र हैं । देश को दागियों से बचाने का श्रेय पूरी तरह से प्रणब दा को जाता है , न कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को ।

                                          ऐसा लगता है कि राहुल की मीडिया के सामने की गई नौटंकी से पहले ही प्रणब दा ने सरकार को इस विधेयक के खिलाफ अपनी राय से अवगत करा दिया था । गौरतलब है कि राहुल प्रकरण से पहले ही प्रणब दा ने सिब्बल और शिंदे को बुलाकर कुछ बातचीत की थी । शायद ये वही मौका था जब राष्ट्रपति ने अपनी राय इन दोनो मंत्रियों को बता दी थी । इस बातचीत का पूरा विवरण बड़ा महत्वपूर्ण होगा । इसे देश के सामने लाया जाना चाहिए । देश जानना चाहता है कि इस मुलाकात में आखिर क्या बातचीत हुई थी ।

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