भारत मां की पावन धरती को शत-शत वंदन ।
बहता यहां सुधा सम सुन्दर सुर सरिता का जल ।
रत्नाकर करता प्रक्षालन इसके अंघ्रि कमल ।।
उत्तर में उत्तुंग रजत सा है कैलास शिखर ।
रहकर जहां सतत रक्षारत शूलपाणि शंकर ।
भला बताओ इसके सम्मुख क्या उपवन नन्दन ?
भारत मां की पावन धरती को शत-शत वंदन ।
मानवता हित तजा बुद्ध ने वैभवमय जीवन ।
किये कर्ण ने दान मृत्यु शय्या पर स्वर्ण रदन।
करते यहां दधीच लोक हित अस्थिजाल देकर।
पी लेते कल्याण हेतु जग के विष विधु शेखर ।।
हीरज अज प्रणम्य पद नीरज रज सुर उर चन्दन ।
भारत मां की पावन धरती को शत-शत वंदन ।
वीर शिवा राणा प्रताप से हुए इसी भूपर ।
अत्याचारों अन्यायों से युद्ध किया डटकर ।।
भगतसिंह आदिक कितनों ने जान गंवाई है ।
यहां नारियों ने रण में तलवार चलाई है । ।
स्वयं चलाते कृष्ण यहां के शूरों का स्यन्दन ।
भारत मां की पावन धरती को शत-शत वंदन ।
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