Thursday 22 December 2011

जन लोकपाल

अन्ना हजारे के लोकपाल आंदोलन को लेकर केंद्र सरकार की टालमटोल नीति जारी है।भ्रष्टाचार के पौधे को विशाल वृक्ष का रुप देने वाली कांग्रेस और उसके सहयोगी दल तमाम कुतर्कों के बीच यह भी कह रहे है कि अन्ना निर्वाचित जन प्रतिनिधि नहीं है। वे अपना राजनीतिक दल बनाकर इतने सांसद जिताए कि उनके अनुसार लोकपाल
विषयक कानून बन सके। संसद की सर्वोच्चता की दुहाई दी जा रही है। उनसे हमें यह कहना है कि महात्मा गांधी और जयप्रकाश नारायण भी सांसद या विधायक नहीं थे
किंतु सरकारें और देश उनके सम्मुख नतमस्तक था। उन्हें 'राष्ट्रपिता' और 'लोकनायक' की उपाधियां जनता ने ही दीं न कि शासकों ने।यही नहीं देश के वर्तमान प्रधानमंत्री कौन सा जन चुनाव जीते है तथा देश की स्वतंत्रता प्राप्ति के समय सत्ता हस्तांतरण पंडित जवाहरलाल नेहरू को प्रधानमंत्री बनाकर क्यों किया गया? तब वे चुनकर कहां आए
थे?समय की मांग है कि संप्रग जल्द से जल्द जन-लोकपाल या उससे मिलता जुलता लोकपाल कानून पास करे। अन्यथा जनक्रांति अवश्यम्भावी है।
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